लेकिन अपनी जात अलग है।।

 बेशक़ उसकी बात अलग है।

लेकिन अपनी जात अलग है।।


क्यों उनको उनका हक़ दे दें

हम पायें ख़ैरात अलग है।।


हिज़्र सुबह से तारी है पर

जाने क्यों ये रात अलग है।।


रिश्तेदारी तो है उनसे

पर अपनी औकात अलग है।।


हम सब हैं गोया जन्नत में

उसकी कायनात अलग है।।


सुरेश साहनी, कानपुर

9451545132

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