तू ही ब्रह्मप्रिया मातु तू ही ब्रम्हरुपिणी है
तू ही ब्रम्हज्ञान की प्रदायिनी है शारदे।
कलावती तू ही मातु तू ही कलाधीश्वरी है
तू ही हर कला की प्रसारिणी है शारदे।
तू ही वाग्देवी मातु वागप्रिया तू ही मातु
7तू ही वाक्शक्ति की सुधारिणी है शारदे।।
आज उपकार कर कण्ठ में विराज मातु
कृपा सिंधु है तू उपकारिणी है शारदे।।
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