सच कहना अपनी ज़ुबान से।
टकराना दुनिया जहान से।।
ईसा मूसा गांधी जिसने
सच बोला वो गया जान से।।
सूट पहन कर अपनी तुलना
क्या करना गाँधी महान से।।
अब भी लोग डरा करते हैं
खादी से चरखा निशान से।।
हत्यारे भी चोला बदले
अब दिखते हैं दयावान से।।
राम रमैया फिर से भेजो
कोई गांधी आसमान से।।
सुरेशसाहनी, कानपुर
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