समतामूलक समाज के निर्माण का विचार ही रावण का दर्शन है।श्वेतकेतु और रावण दोनों ब्राम्हण चिन्तक हैं। एक अव्यवस्थित समाज को विवाह संस्था के माध्यम से सुव्यवस्थित करता है।दूसरा सर्वहारा सत्ता के लिये तंत्र का सहारा लेता है। रावण अशिक्षित नहीं है। उद्भट विद्वान है,महायोद्धा है।किंतु अपने भाई बहनों से प्रेम उसकी कमजोरी है। महान शैव शासक और वेदसम्मत शासन व्यवस्था देने वाले रावण ने कांगड़ा, काठमांडू, काशी और वैद्यनाथधाम में शिवविग्रहों की स्थापना की ,ऐसा जनश्रुतियां बताती हैं।

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