सिर्फ मज़हब की बात करते हैं।

क्या कभी ढब की बात करते हैं।।


जब वो यारब की बात करते है।

कौन से रब की बात करते हैं।।


ख़ुद ही कहकर  जहान को फ़ानी 

ख़ुद के मनसब की बात करते हैं।।


खाक़ मिल्लत को हौसला देंगे

दौरे- अर्दब की बात करते हैं।।


चश्मे-साक़ी में डूबकर नासेह

ख़ूब मशरब की बात करते हैं।।


मौत का दिन कहाँ मुअय्यन है

आप किस तब की बात करते हैं।।


है शबे-वस्ल छोड़ फ़िक़्रे-ज़हाँ

सिर्फ़ मतलब की बात करते हैं।।


सुरेश साहनी कानपुर

9451545132

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

अपरिभाषित

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है