अहंकारियों का बहुमत है

भीष्म सदृश हर पात्र मौन है

अपमानित हो रहे प्रश्नमुख

मूकबधिर हो सत्र मौन है


पक्ष भ्रमित प्रतिपक्ष मौन है

मितदृष्टा हैं शासक सारे

भला शकुनियों के जंगल में

प्रजा द्रौपदी किसे पुकारे

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

अपरिभाषित

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है