ज़ख्म कोई उभर गया मुझमें।

दर्द ही दर्द भर गया मुझमें।।


आज क्यों अजनबी लगा मुझको

आख़िरश क्या अखर गया मुझको।।


मेरा किरदार जबकि अनगढ़ था

जाने कैसे सँवर गया मुझमें।।

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