ज़िन्दगी की तरफ़ न लौटे क्या।

हम खुशी की तरफ़ न लौटे क्या।।


आप ही तो हमारी मंज़िल हैं

आप ही की तरफ़ न लौटे क्या।।


क्यों अंधेरे के हम परस्त रहें

रोशनी की तरफ़ न लौटे क्या।।

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