पास अपने प्यार का ठेका नहीं।
दिल है ये बाज़ार का ठेका नहीं।।
मैं लिखूं और नाम आये ग़ैर का
शायरी गुलज़ार का ठेका नहीं।।
इक दफा खुलकर इसे जी लीजिये
ज़िन्दगी हर बार का ठेका नहीं।।
दिल पे उनके सिर्फ मेरा नाम है
आशिक़ी अगियार का ठेका नहीं।।
सब मिटायें तब तो होंगे पाप कम
ये किसी अवतार का ठेका नहीं।।
कर दे खुशियों के हवाले ज़िन्दगी
तू दिले-बेज़ार का ठेका नहीं।।
साहनी का दिल अनारो ले भी ले
सैकड़ो बीमार का ठेका नहीं।।
सुरेश साहनी कानपुर
9451545132
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