घर आँगन दालान बिक गया 

पुरखों का सम्मान बिक गया।

पण्डित मुल्ला बिके सभी पर

शोर मचा इंसान बिक गया।।......


उस गरीब की जान बिक गयी

अच्छी भली दुकान बिक गयी

नाम बिक गया शान बिक गयी

क्या अब कहें जुबान बिक गयी


घर परिवार बचा रह जाये

इसी लिए ईमान बिक गया।।1


शिक्षा अब व्यापार बन गयी

राजनीति रुजगार बन गयी

लाठी गोली बंदूकों से

मिल जुल कर सरकार बन गयी


गण गिरवी है तंत्र बिका तो

बाबा तेरा विधान बिक गया।।2


सैनिक मरा किसान मर गया।

बूढ़ा और जवान मर गया।।

राजनीति रह गयी सलामत

बेशक़ इक इंसान मर गया।।


फिर गरीब की हस्ती क्या है

वहाँ जहाँ धनवान  बिक गया।।3..........


नाम बचा तो शेष बिक गया

सरकारी आदेश बिक गया

 विस्मित जनता सोच रही है

क्यों इनका गणवेश बिक गया


ध्वज को कौन सम्हालेगा अब

जबसे बना प्रधान बिक गया।।4

सुरेश साहनी , कानपुर

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