दूर सफ़र में इतना तन्हा होना भी।
कुछ पाना है जाने क्या क्या खोना भी।।
फूलों का बिस्तर अपनों को देने मे
अक्सर पड़ता है काँटों पर सोना भी।।
रोते रोते हँसने की मज़बूरी में
पड़ जाता है हँसते हँसते रोना भी।।
बेशक़ रिश्तों की बैसाखी मत लेना
भारी होता है रिश्तों का ढोना भी।।
बोझ दिमागो-दिल पर लेना ठीक नहीं
सुख में दुख में पलकें तनिक भिगोना भी।।
सुरेश साहनी कानपुर
9451545132
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