कुछ मुझे मेरे पास रहने हो।
दो घड़ी ग़मशनास रहने दो।
थक गया हूँ मैं ख़ुद पे हँस हँस कर
इक ज़रा सा उदास रहने दो।।
रूह को पैरहन ज़रुरी था
जिस्म को बेलिबास रहने दो।।
मयकदे मेरी राह तकते हैं
मेरे होठों पे प्यास रहने दो।।
कैफ़े-फुरक़त मेरी तलब भी है
इश्क़ हूँ महवे-यास रहने दो।।
सुरेश साहनी कानपुर
9451545132
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