ज़िंदगी उनकी राह ले आयी
धर उम्मीदों की बांह ले आयी।।
जिक्र मेरे फकीर को लेकर
कौन से खानकाह ले आयी।।
लग रहा है कि दिल की दुनिया में
फिर से करने गुनाह ले आयी।।
या फकीरों के बीच में मुझको
कह के आलम पनाह ले आयी।।
या कि मेरे सुकून से जलकर
मुझको करने तबाह ले आयी।।
Comments
Post a Comment