सिर्फ़ जीने तो हम नहीं आये।
दर्द पीने तो हम नहीं आये।।
ज़ख़्म मेरे गुहर है मेरे लिये
ज़ख़्म सीने तो हम नहीं आये।।
फिर भी दरिया के पार जाना है
ले सफीने तो हम नहीं आये।।
तेरी रहमत भी चाहिये मौला
इक मदीने तो हम नहीं आये।।
मेरे आमाल में तो जोड़ इसे
यूँ खज़ीने तो हम नहीं आये।।
तय था आएंगे तेरे पहलू में
फिर क़रीने तो हम नहीं आये।।
मेरे अपने भी इसमें शामिल हैं
ख़ुद दफीने तो हम नहीं आये।।
कह दो मतलब पे ही बुलाया है
साहनी ने तो हम नहीं आये।।
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