कब हमारी गली पधारोगे।
दुःख से कब तक हमें उबारोगे।।
ब्रज की गउवें भी राह तकती हैं
कब उन्हें प्यार से पुकारोगे।।
द्वारका में बने रहोगे या
कर्ज मैया का भी उतारोगे।।
ये समाज हो चुका है कालीदह
श्याम कैसे इसे सुधारोगे।।
श्याम कब फिर से अवतरित होंगे
कब दशा दीन की संवारोगे।।
कृष्ण-9
सुरेश साहनी कानपुर
9451545132
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