द्वारका में तो कृष्ण रहता है।
पर मेरा सांवरे से रिश्ता है।।
जो है गोकुल के नन्द का लाला
वो हमारे दिलों में बसता है।।
जीव और ब्रम्ह कुछ अलग हैं क्या
दरअसल श्याम ही तो राधा है।।
ब्रम्ह की बात मत करो उधौ
ब्रम्ह का मित्र तो सुदामा है।।
द्वारकाधीश आपके होंगे
मेरी ख़ातिर तो बस कन्हैया है।।
सुरेश साहनी, कानपुर
9451545132
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