गर्मिए-एहसास क्या है इश्क़ में।
दूर क्या है पास क्या है इश्क़ में।।
चल पड़े जब जानिबे-दार-ओ-सलीब
फिर भला वनवास क्या है इश्क़ में।।
कस्र-ए-दिल में तो रहकर देखिए
आपका रनिवास क्या है इश्क़ में।।
आशिक़ी में तख़्त क्या है ताज क्या
आम क्या है ख़ास क्या है इश्क़ में।।
पहले उसके प्रेम में तो डूबिये
जान लेंगे रास क्या है इश्क़ में।।
तिश्नगी बुझती नहीं है दीद की
मैकदे की प्यास क्या है इश्क़ में।।
इक अजब है कैफ़ इसमें साहनी
क्या खुशी है यास क्या है इश्क़ में।।
गर्मिए-एहसास/भावनाओं की तीव्रता
जानिब/ तरफ
दार-ओ-सलीब/सूली इत्यादि
कस्र-ए-दिल/ दिल का महल
तिश्नगी/ प्यास
दीद/ दर्शन
मयकदे/ शराबघर
कैफ़/ आनन्द
यास/ दुःख, निराशा
सुरेश साहनी, कानपुर
9451545132
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