पागल होना चाह रहे हो।

या दुनिया को थाह रहे हो।।


रिश्ते भी परवाह करेंगे

पर क्या उन्हें निबाह रहे हो।।


दुनियादारी के मसलों में

पड़ तो ख़्वाहमख़्वाह रहे हो।।


इश्क़ औ मुश्क कहाँ छिपते हैं

बेशक़ पशे-निगाह रहे हो।।


इश्क़ जुनूँ है पा ही लोगे

तुम भी अगर तबाह रहे हो।।


शिर्क है इसमें ग़म का शिकवा

किसके लिए कराह रहे हो।।


तुम सुरेश जन्नत मुमकिन है

कर तो वही गुनाह रहे हो।।


सुरेश साहनी, कानपुर

9451545132

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