विक्रम तड़प रहा है बेताल रो रहा है।

ये मुल्क आज होके बदहाल रो रहा है।।


रोना तो मछलियों की किस्मत में है अज़ल से

कितनी अजीब बात है घड़ियाल रो रहा है।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है