मामला ज़ेर-ए- बहस है क्या।

हाले दिल अब भी जस का तस है क्या।।


ज़िन्दगी इक सवाल तुझसे भी

जिस्म ही जान का कफ़स है क्या।।


इश्क़ करके भी क्या हुआ हासिल

इसकी मन्ज़िल फ़क़त हवस है क्या।।

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