गर्म सांसें मेरी शीतल कर दो।

मैं हूँ सहरा मुझे जलथल कर दो।।


कतरा कतरा मैं बरस जाऊंगी

गोया दरिया हूँ मैं बादल कर दो।।


मेरी सांसों में महक कर मेरे

बूटा-ए-जिस्म को सन्दल कर दो।।


यूँ गुज़र जाओ जुनूँ की हद से

इतना चाहो मुझे पागल कर दो।।


मुझमे जन्मों का अधूरापन है

प्यार से अपनी मुकम्मल कर दो।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है