नाहक़ उपमायें देता था नाहक़ मैं तुलना करता था
मेरा चाँद अधिक सुन्दर है पर तुमको बोला करता था
इतने कील मुहांसे तुममें इतना रूखा सूखा चेहरा
नाहक़ कोमल कोमल शब्दों में तुमको तोला करता था
तुमसे ज़्यादा किसे पता है नवग्रह बन्दी थे रावण के
मंगल सूर्य और शनि मानो सेवक थे दसशीश चरण के
तुम्हें पता है भारतवंशी गणना में कितने आगे थे
काल समय घोषित करते हैं पहले से प्रत्येक ग्रहण के
लुकाछिपी की या छलने की सदा रही है प्रवृति तुम्हारी
पर खगोल सब भेद तुम्हारे पहले भी खोला करता था.....
सुरेश साहनी, कानपुर
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