और कितने यहाँ ग़ज़लगो हैं।

एक है चार हैं कि दूगो हैं।।


और हर एक की अलग आढ़त

अपने अपने सभी के लोगो हैं।।


हर कोई है अना में चूर यहाँ

हद से ज़्यादा सभी के ईगो हैं।।


हैं तो शायर मगर फ़रेब भरे

उनमें कितने यहां दरोग़-गो हैं।।


और तनक़ीद क्यों करें उनपे

साहनी कौन से नग़ज़-गो हैं।।


ग़ज़लगो/कवि, ग़ज़ल कहने वाला

दूगो/दो लोग

अना/घमंड

ईगो/अहंकार

तनक़ीद/टिप्पणी

लोगो/प्रतीक चिन्ह

दरोग़-गो/झूठा

नग़ज़-गो/अच्छा लिखने वाला


साहनी सुरेश

9451434132

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