फ़क़त झूठे दिलासे दे रहा है।
न् जाने कब से झांसे दे रहा है।।
वो वादों के उजासों में भुलाकर
दुआओं में कुहासे दे रहा है।।
ज़रा सा भी किसी ने चूं चपड़ की
उसे फेरा में फांसे दे रहा है।।
तभी उम्मीद की हर देवकी को
समय जेलों में ठासे दे रहा है।।
फ़क़त झूठे दिलासे दे रहा है।
न् जाने कब से झांसे दे रहा है।।
वो वादों के उजासों में भुलाकर
दुआओं में कुहासे दे रहा है।।
ज़रा सा भी किसी ने चूं चपड़ की
उसे फेरा में फांसे दे रहा है।।
तभी उम्मीद की हर देवकी को
समय जेलों में ठासे दे रहा है।।
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