जो अच्छे थे जमाने जा चुके हैं।।

शहर में आईने सस्ते हुए हैं।
न जाने लोग क्यूँ सहमे हुए हैं।।

मुझे कुफे की बैय्यत देने वालों
मुझे बख्शो बहुत धोखेे हुए हैं।।

दिखाओ ख्वाब मत अच्छे दिनों के
जो अच्छे थे जमाने जा चुके हैं।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा