अब तो सड़कें ही बचेंगी हल के लिए।

अब तो सड़कें ही बचेंगी हल के लिए।
खेत तो बचेंगे ही नहीं फसल के लिए।
हवा न अन्न न पानी रहेगा कल के लिए।
कुछ तो हम छोड़ते आने वाली नसल के लिए।।


सँवर के रात मेरी चांदनी सी हो जाये।
यूँ छुओ कि छुवन सनसनी सी हो जाये।।
कि ताल ताल मेरी धडकनों में गूंज उठे
कि श्वांस श्वांस मधुर रागिनी सी हो जाये।।

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