कोई बच्चा क्यों करेगा खेलने खाने की ज़िद।

जो अभी से कर रहा है कर्बला जाने की ज़िद।।


बादशाहों औरतों बच्चों की ज़िद से भी बड़ी

ख़ुद पे आ जाये तो समझो एक दीवाने की ज़िद।।


है भरम में शेख़ वो मयखाने कर देगा तबाह

और उसे बेख़ुद करेगा है ये मयखाने की ज़िद।।


ज़िद वो परमानन्द से मिलने की लेकर चल दिये

आप करिये अब जलाने या कि दफनाने की जिद ।।


ख़ुद नुमाइश में भले शम्मा  जले है रात पर

देखने लायक फ़क़त होती है परवाने की ज़िद।।


एक दिन ख़ुद छोड़ देगी ज़िन्दगी तनहा तुम्हें

किस भरम में कर रहे हो सब को ठुकराने की ज़िद।।


घूमता है सर हथेली पर लिए अब चार सू

साहनी में आ गयी है एक मस्ताने की ज़िद।।


साहनी सुरेश कानपुर

9451545132

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