ग्राम देव के श्रम सीकर से खेतों की हरियाली का।

जाग जाग कर शीत काल में खेतों की रखवाली का।।

मान न रक्खा सरकारों ने मर मर जीने वालों का

सबने लूटा सबने छीना अन्न उसी की थाली का।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है