गज  को घेरे पुनः ग्राह है अब कब आओगे।

सब ने पकड़ी गलत राह है अब कब आओगे।

बूआ का कुनबा तबाह था तुमने बचा लिया

अब सारी दुनिया तबाह है अब कब आओगे।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है