ख़ुदा से अगर आशनाई नहीं है।
तो बन्दों से भी कुछ बुराई नहीं है।।
तो क्या खाक़ जन्नत से होगा तआरुफ़
अगर मयकदे तक रसाई नहीं है।।
ये टीका ओ टोपी का मतलब ही क्या है
तबीयत अगर पारसाई नहीं है।।
अगर हैं मुहब्बत में बदनामियाँ भी
तो नफ़रत में भी कुछ बड़ाई नहीं है।।
हमें जिसका डर तू दिखाता है नासेह
ख़ुदा है वो कोई कसाई नहीं है।।
सुरेश साहनी कानपुर
9451545132
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