कछु अड्ड मिलें ,कछु बड्ड मिलें
जँह हमरे जैस उजड्ड मिलें
समझो कवियों का जमघट है।
बातन मा योग बिछोह दिखै
हरकत हो अइस गिरोह दिखै
समझो कवियों का जमघट है।।
जँह रात में भैरव गान मिलै
जँह तालें तूरत तान मिलै
समझो कवियों का जमघट है।।
जँह सारे उटपटांग मिलै
जँह भाषा टूटी टांग मिलै
समझो कवियों का जमघट है।।
#सुरेशसाहनी
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