हो गयी गुम आपकी तस्वीर फिर।
मिट गई है वस्ल की तहरीर फिर।।
वस्ल/मिलन
तहरीर/भाग्य लेख
इस तरह रूठी है मुझसे ज़िन्दगी
कब्र की दिखने लगी शहतीर फिर।।
शहतीर/लकड़ी की बीम या लट्ठा
हाँ दवा को वक़्त कुछ कोताह था
फ़ातिहा पे कर न दे ताख़ीर फिर।।
कोताह/कम
फ़ातिहा/श्राद्ध वचन
ताख़ीर/विलम्ब
उलझनों से खाक़ आज़ादी मिली
मिल गयी पैरों को इक ज़ंज़ीर फिर।।
देर से आया मगर आया तो मैं
रख ले मौला अपना दामनगीर फिर।।
दामनगीर/परमात्मा का शरणार्थी
सुरेश साहनी कानपुर
9451545132
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