खाक़ बारादरी से मिलता है।
इल्म यायावरी से मिलता है।।
जो नशा मैकदे में मिलता है
कब किसी मदभरी से मिलता है।।
हुस्न बेशक़ मिलेगा महलों में
इश्क़ उस बावरी से मिलता है।।
बस कि तस्कीन है कमाते हैं
क्या भला चाकरी से मिलता है।।
साहनी को हवस रहे क्यों जब
सब उसे सांवरी से मिलता है।।
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