जब अज़ल से ही खुशनसीब रहे।

कैसे कह दें कि हम ग़रीब रहे।।


ख़ानदानी रहे हसीब रहे।

यानि अगियार भी हबीब रहे।।


दौरे हाज़िर में सब नकीब रहे।

हम ही हर हाल में अदीब रहे।।


अपने रिश्ते भी कुछ अजीब रहे।

लड़ झगड़ कर भी हम क़रीब रहे।।


कुछ तो  शीरी जुबान है अपनी

फिर गले से भी अंदलीब रहे।।


होके मयख़्वार भी गये जन्नत

हम न नासेह न तो ख़तीब रहे।।


अज़ल/आरंभ, ग़रीब/दीन हीन, कमजोर, हसीब/श्रेष्ठ, सम्मानित , दौरे-हाज़िर/वर्तमान, नकीब/चारण, शीरी/मीठी, अंदलीब/बुलबुल, मयख्वार/शराबी, जन्नत/स्वर्ग,

नासेह/धर्मोपदेशक, ख़तीब/फतवा जारी करने वाला


सुरेश साहनी, कानपुर

9451545132

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