मत जिओ यूँ उदासियाँ लेकर
बंद कमरे में खाँसीयां लेकर
क्या मिलेगा जो सत्य बोलोगे
वो भी बदले में फांसियां लेकर
उसने फ़रियाद सुन तो ली लेकिन
सो गया फिर उबासियाँ लेकर
झोंपड़ी है चला दो बुलडोजर
क्या मिलेगा तलाशियाँ लेकर
इनकी क़लमें अभी क़लम कर दो
कल न चीखें ख़ामोशियाँ लेकर
कैसे माने ये कौम ज़िन्दा है
इस क़दर ज़ख़्मे-यासियां लेकर
साहनी वक़्त का सिकन्दर भी
कब गया दास दासियाँ लेकर
सुरेश साहनी कानपुर
9451545132
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