मुझे खोई दिशाओं का पता दो।
मुझे बहकी हवाओं का पता दो।।
मैं अपने आप से कैसे मिलूंगा
मुझे मेरी अदाओं का पता दो।।
मेरा महफ़िल में दम घुटने लगा है
कोई आकर ख़लाओं का पता दो।।
गुनाहे-इश्क़ का मुजरिम हूँ यारों
मुझे मेरी सज़ाओं का पता दो।।
मुझे क्यूँकर बचाया डूबने से
मुझे उन नाखुदाओं का पता दो।।
दुआओं की ज़रूरत होगी तुमको
मुझे लाकर बलाओं का पता दो।।
मेरा बचपन मुझे लौटा सको तो
मुझे ममता की छाँवों का पता दो।।
तुम्हारा शहर हो तुमको मुबारक
मुझे तुम मेरे गाँव का पता दो।।

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