वो आशना था मगर अजनबी लगा मुझको।

रहा तो दिल में मगर ग़ैर भी लगा मुझको।।

अज़ाब क़ुर्बतों में उसकी जो मिले यारब

उसे कहाँ से कहूँ ज़िन्दगी  लगा मुझको।।साहनी

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