पुष्प पथ में बिछाये हैं रख दो चरण।

आपसे स्नेह का है ये पुरश्चरण।।

 

प्रीति के पर्व का यह अनुष्ठान है

दृष्टि का अवनयन लाज सोपान है


सत्य सुन्दर की सहमति है शिव अवतरण।।

पुष्प पथ में बिछायें हैं रख दो चरण।।


कुछ करो कि स्वयम्वर सही सिद्ध हो

सिद्धि हो और रघुवर सही सिद्ध हो


शक्ति बन मेरे भुज का करो  प्रिय वरण।।

पुष्प पथ में बिछायें हैं रख दो चरण।।


 ओम सत्यम शिवम सुन्दरम प्रीति हो

युगयुगान्तर अमर प्रीति की कीर्ति हो


लोग उध्दृत करें राम का आचरण।।

पुष्प पथ में बिछायें हैं रख दो चरण।।

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