धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में आकर

युद्घातुर हो एक बराबर

पाण्डुपुत्र अरु ममपुत्रों ने 

है संजय क्या किया परस्पर

 श्लोक 1

 पांडव दल का व्यूह देखकर

हे राजन दुर्योधन तत्पर

द्रोण गुरु के  निकट पहुँच कर

बोले राजा वचन सुनाकर


हे आचार्य पाण्डुपुत्रों की

इस विशाल सेना को देखें

व्यूह आपके योग्य शिष्य प्रिय

धृष्टद्युम्न ने सजा दिये हैं

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