यूँ तो रिश्ता नहीं है ख़ास कोई।
है मगर मेरे दिल के पास कोई।।
मिल गया वो तो यूँ लगा मुझको
जैसे पूरी हुई तलाश कोई।।
मेरे हंसने से उज़्र था सबको
क्या मैं रोया तो था उदास कोई।।
हाले दिल यूँ अयाँ न कर सबसे
शख़्स मिलने दे ग़मशनास कोई।।
सिर्फ़ लाये हो इश्क़ की दौलत
खाक़ देगा तुम्हें गिलास कोई।।
क्या करूँ मैं भी बेलिबास आऊँ
यां समझता नहीं है प्यास कोई।।
साहनी लौट अपनी दुनिया मे
तेरी ख़ातिर है महवे-यास कोई।।
सुरेश साहनी, कानपुर
9451545132
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