जाने कितनी जान लिए हो।

जो क़ातिल मुस्कान लिए हो।।


नज़रें तीर कमान लिए हो।

खूब निशाने तान लिए हो।।


ऊपर से ये भोली सूरत

मेरा भी ईमान लिए हो।।


हँसते हो मोती झरते हैं

मानो कोई खान लिए हो।।


आईना तक रीझ गया है

क्या करने की ठान लिए हो।।


देख के शरमाये हो ख़ुद को

किसको अपना मान लिए हो।।


आ भी जाओ मेरे दिल मे

नाहक़ अलग मकान लिए हो।।


02/12/22


सुरेश साहनी कानपुर

9451545132

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