हमारी जीस्त बेशक़ तिश्नगी थी।
मगर तक़दीर में खारी नदी थी।।
तुम्हारे पास दीवाने बहुत थे
हमारे पास इक दीवानगी थी।।
हमारी लत वफ़ादारी थी लेकिन
यहीं इक बात तुमको सालती थी।।
हमारा प्यार दौलत से नहीं था
हमारे प्यार की ये तो कमी थी।।
जहाँ तक दिन तुम्हारे साथ गुज़रे
बस उतनी ही हमारी ज़िंदगी थी।।
सुरेश साहनी कानपुर
9451545132
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