हुस्न को यार मिल ही जायेंगे।
दिल के बीमार मिल ही जायेंगे।।
जब उसे सादगी पसंद नहीं
कुछ रियाकार मिल ही जायेंगे।।
इश्क़ अव्वल गुनाह कहने को
लोग दो चार मिल ही जायेंगे।।
आज सोचा है बेच दें ख़ुद को
कुछ खरीदार मिल ही जायेंगे।।
घर से निकलो तो इश्क़ की जानिब
राह में दार मिल ही जायेंगे।।
हर सहाफ़ी क़लम न बेचेगा
चन्द् खुद्दार मिल ही जायेंगे।।
साहनी की ग़ज़ल में भी लायक
कुछ तो अशआर मिल ही जायेंगे।।
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