जिसे देख कर यती मुनी तक सूध बुध सब बिसरा देते हैं
जिसे देख कर सुर नर किन्नर सारे होश गंवा देते हैं
दानव देव तपस्वी सबका जो विचलित करता है तन मन
नर नारायण सबके दिल पर निर्विवाद है जिसका शासन
मायापति मनुसुत मायावी सब जिसका अनुचर दिखता है।
वह भोला बन पूछ रहा है क्या कवि सच को सच लिखता है।।
सुरेश साहनी, कानपुर
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