इश्क़ में हम सुधर गये तो फिर।
इस नज़र से सँवर गये तो फिर।।
सिर्फ़ इतने पे उफ़ कहा तुमने
हम जो हद से गुज़र गये तो फिर।।
कैसे ऐलान कर दें उल्फ़त का
कल कहीं तुम मुकर गये तो फिर।।
ये न कहना कि हुस्न फ़ानी है
इश्क़ वाले भी मर गये तो फिर।।
कैसे माने कि दिल न तोड़ोगे
टूट कर हम बिखर गये तो फिर।।
फिर निभाने की कोई हद होगी
तुम उसे पार कर गये तो फिर।।
हम तो दुनिया से जूझ सकते हैं
तुम ज़माने से डर गये तो फिर।।
आज रुसवाईयों का डर है ना
कल को हम नाम कर गये तो फिर।।
साहनी तुम से सच न बोलेंगे
कल नज़र से उतर गये तो फिर।।
सुरेश साहनी, कानपुर
9451545132
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