हम थे किस को तलाशने निकले।
कब थे ख़ुद को तलाशने निकले।।
अपने दिल मे न झाँक पाये हम
और उसको तलाशने निकले।।
कब ख़िरदमंद को मिला है वो
कौन रब को तलाशने निकले।।
हम थे पागल सराय-फानी में
अपने घर को तलाशने निकले।।
क्यों न मिलता सुरेश दुख तुमको
तुम थे सुख को तलाशने निकले।।
साहनी
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