हुस्न पर एतबार ले डूबा।
इश्क़ दिल का क़रार ले डूबा।।
पार साहिल से सिर्फ़ कुछ पहले
नाख़ुदा बन के यार ले डूबा।।
तू है बीमार जिस मसीहा का
उसको तेरा बुखार ले डूबा।।
क्या लहर क्या भँवर कहाँ तूफां
दिल की किश्ती को प्यार ले डूबा।।
हम खिजाओं को खाक़ तोहमत दें
जब चमन ही बहार ले डूबा।।
साहनी कैसे बेमुरव्वत को
दिल दिया था उधार ले डूबा।।
सुरेश साहनी, कानपुर
9451545132
Comments
Post a Comment