हद है तुम स्कूल गये हो।
और सबक भी भूल गये हो।।
इश्क़ नहीं हो पाया अब तक
फिर तो वहां फ़ुज़ूल गये हो।।
प्रेम नदी में उतरे भी हो
या बस उसके कूल गये हो।।
काँधे पर सिर धरवाया है
या बाहों में झूल गये हो।।
दिल् की गद्दी तब मिलती है
यदि होकर माज़ूल गये हो।।
दिल की राह मिलेगी कैसे
कब होकर मकतूल गये हो।।
कल सुरेश दुनिया थूकेगी
लिख जो ऊलजुलूल गये हो।।
फ़ुज़ूल/व्यर्थ, कूल/किनारा
माज़ूल/विनम्र,पदच्युत, मक़तूल/जिसका क़त्ल हुआ हो
ऊलजुलूल/व्यर्थ, निरर्थक
सुरेश साहनी, कानपुर
9451545132
Comments
Post a Comment