मैं उनको जाना पहचाना लगता हूँ।

क्या मैं सचमुच मेरे जैसा लगता हूँ।।


मेरे जैसे कितने चेहरे है मुझमें

क्या जैसा हूँ कुछ कुछ वैसा लगता हूँ।।


किस को ढूंढ़ रहा हूँ मैं आईने में

क्या मैं ख़ुद में खोया खोया लगता हूँ।।


तुम अपना कहते हो हैरत होती है

मैं मुझको ही आज पराया लगता हूँ।।


घर है रिश्ते-नाते हैं याराने हैं

फिर क्यों इतना तन्हा तन्हा लगता  हूँ।।


मेरा पता ठिकाना दुनिया जाने हैं

मैं ही मुझको भूला भटका लगता हूँ।।


जब सुरेश से सारी दुनिया जलती है

हैरत है मैं तुमको अच्छा लगता हूँ।।


सुरेश साहनी, कानपुर

9451545132

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