कैसे तन्हा करे सफ़र कोई
अब नहीं सूझती डगर कोई
तुमसे किस बात का गिला आखिर
साथ देता है उम्र भर कोई
हम भी हँस कर जबाब ही देते
प्यार से बोलता अगर कोई
गाँव के गाँव खा गई सड़कें
जब बसा है नया शहर कोई
आज तक उसके मुन्तजि़र है लोग
उसकी बातों में था असर कोई

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है